क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाकर दिल्ली से बिहार जा रही प्राइवेट टूरिस्ट बस को कानपुर के झकरकटी डिपो के पास शुक्रवार की भोर में एआरएम और एआरटीओ की टीम ने पकड़ लिया। जांच के बाद अफसरों ने बस का चालान कर दिया। इससे यात्रियों में हड़कंप मच गया और वे हंगामा करने लगे। यात्री वैकल्पिक व्यवस्था किए जाने की मांग कर रहे थे।
घर पहुंचने की आस में दिल्ली से बस पर सवार लोगों को सुबह-सुबह इस मुसीबत में फंसना पड़ा। करीब 15 घंटों तक वे परेशान हुए। इस दौरान काफी संख्या में लोग भूखे-प्यासे ही दूसरी बस का इंतजार करते बैठे रहे। बिना रिजर्वेशन कराए ट्रेन यात्रा की अनुमति नहीं होने से यात्रियों के पास वहीं इंतजार करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प भी नहीं था। हालांकि लोगों के विरोध करने पर बस ऑपरेटर ने उनके किराए वापस कर दिए।
सुबह से फंसे यात्रियों को शाम को दूसरी बस मिली लेकिन यह बस भी सबको नहीं बैठा सकी। जो बैठ सके वे अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए, बचे यात्री पूरे दिन भटकते रहे और खुद ही इधर-उधर साधन तलाशने की कोशिश करते रहे।
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इस बारे में कानपुर के एआरटीओ प्रवर्तन विनय पांडेय का कहना था कि बस की क्षमता सिर्फ 72 सीटों की थी, लेकिन बस में 107 लोग सवार थे। इसके अलावा ड्राइवर के पास डीएल (ड्राइविंग लाइसेंस) भी नहीं था। बस ऑपरेटर बस के पेपर भी नहीं दे सके। उन्होंने दावा किया कि सवारियों के लिए वैकल्पिक इंतजाम कर दिए गए थे।
उधर, यात्रियों का आरोप था कि लंबी दूरी की रूटों पर सरकारी बसें पर्याप्त संख्या में नहीं चलती है। कोरोना की वजह से अधिकतर ट्रेनें बंद हैं। जो चल रही हैं, उनमें जनरल कोच नहीं है। सिर्फ रिजर्वेशन कराकर ही यात्रा की जा सकती है। ऐसे में उनके सामने प्राइवेट बसों का सहारा लेना ही एकमात्र रास्ता है।