(कानपुर) शहर में आवास देने और प्लाटिंग करने तथा शहर के विकास के लिए जिम्मेदार दो विभाग कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA) और कानपुर नगर निगम के बीच किराए की कीमती संपत्तियों को लेकर ठन गई है। दोनों एक-दूसरे पर स्वामित्व विवाद का लेकर आरोप लगा रहे हैं।
दरअसल शहर के अंदर ऐसी कई दुकानें, भवन, पार्क और कॉलोनी हैं, जो फिलहाल किराए पर आवंटित हैं। इनके स्वामित्व को लेकर केडीए और नगर निगम में तनातनी है। जिन संपत्तियों को केडीए अपना बताकर नगर निगम से उसकी रिकवरी मांग रहा है, नगर निगम उन संपत्तियों पर केडीए के दावे को ही गलत बता रहा है। नगर निगम का कहना है कि वे संपत्ति पहले से ही नगर निगम के पास हैं, केडीए की स्थापना ही बहुत बाद में हुई है।
इस मामले में नगर आयुक्त ने नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 126 (2) का उल्लेख करते हुए नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजकर मामले को अंतिम रूप से निस्तारित करने का अनुरोध किया है।
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दूसरी तरफ कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) ने इन संपत्तियों पर अपना स्वामित्व जताते हुए आवंटियों और किराएदारों को विधिक नोटिस भेजा है। इन संपत्तियों में स्वरूपनगर मीट शाप, माडल टाउन, किदवई नगर पार्क ई-ब्लाक, घंटाघर, दुकान दाल मंडी, दुकान शास्त्री नगर, एमजी इंटर कालेज तिलक नगर, दुकान शहीद पार्क मुंशीपुरवा, स्वच्छकार कालोनी, बाबाकुटी, परमपुरवा, काकादेव, गोविंदनगर, मन्नूपुरवा, विरहाना रोड, फूलबाग, सी ब्लाक किदवई नगर, ब्वॉयज स्कूल गोविंदनगर, नवीन मार्केट भूमि खंड, व टीनशेड, खोया बाजार की दुकानें आदि शामिल हैं।
केडीए कानपुर अर्बन डेवलपमेंट एक्ट 1973 की धारा 59(6) का उल्लेख करते हुए नगर निगम सीमा अंतर्गत स्थित संपत्तियों पर अपना स्वामित्व दर्शाते हुए वित्तीय वर्ष 2017-18 तक अवशेष धनराशि 32891684-00 रुपए की मांग की है। मामले में नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी का तर्क है कि नगर निगम पहले से है और केडीए बाद में बना है। ये संपत्ति नगर निगम के पास पहले से है।