7800 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले में लंदन में रहने वाले आरोपी सतीश चंद्र गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति समीर जैन ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने माना कि पहले सेशन कोर्ट में याचिका दाखिल की जानी चाहिए। हाईकोर्ट में सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही सीधे याचिका दाखिल करने की अनुमति दी गई है। इस याचिका में किसी ऐसी विशेष परिस्थिति का उल्लेख नहीं है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान एसएफआईओ की ओर से तर्क रखा गया कि मामले की विवेचना पूरी हो चुकी है। सतीश को सिर्फ समन भेजे गए हैं, उनके खिलाफ कोई वारंट नहीं है। उनकी गिरफ्तारी की कोई आशंका नहीं है। ऐसे में अग्रिम जमानत याचिका का कोई आधार नहीं है। अगर अग्रिम जमानत मिलती है तो वह मुकदमे की सुनवाई के लिए दोबारा भारत नहीं आएगा। पहले भी ऐसे कई उदाहरण रहे हैं जिसमें आरोपी एक बार भारत छोड़ गया तो दोबारा कानूनी कार्रवाई का सामना करने वापस नहीं लौटा। कंपनी एक्ट के तहत करोड़ों रुपये का अपराध किया गया है। सतीश यूके की एक फर्म के पूर्व निदेशक है, जो घोटाले में शामिल रही है। उन्होंने कहा कि सतीश कंपनी कोर्ट में हाजिर होकर वहां अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं। सीधे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल नहीं की जानी चाहिए। वहीं, सतीश की ओर से अधिवक्ता ने कई विधि व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए सीधे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल करने को वैध बताया। कहा गया कि 73 साल सतीश कानूनी कार्रवाई में भाग लेना चाहते हैं लेकिन उन्हें डर है कि अगर वह कोर्ट में हाजिर हुए तो हिरासत में ले लिया जाएगा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने पर्याप्त आधार न पाते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।